एक धर्म था
वैदिक धर्म
एक जाती थी
मानव जाती,
एक भाषा थी
जिस में वेद रचे,
एक शिक्षा थी,
वैदिक शिक्षा,
एक लोक था
भूलोक....
नाम के लिये,
आज धर्म कई हैं,
जातियों की तो
गिनती नहीं हैं,
हर भाग की
अपनी भाषाएं हैं,
शिक्षा का कोई
अब आधार नहीं है,
धरा बंट चुकी है
कई भागों में...
जब से बंटा है
ये सब कुछ,
बंटा है तब से
मानव भी कई भागों में।
न अमन है कहीं,
न सुखी है कोई।
न वेदों का ज्ञाता है कोई,
जो पथ दिखा सके।
वो धर्म ही खंडित हुआ है,
जो आदमी को, इनसान बना सके...
वैदिक धर्म
एक जाती थी
मानव जाती,
एक भाषा थी
जिस में वेद रचे,
एक शिक्षा थी,
वैदिक शिक्षा,
एक लोक था
भूलोक....
नाम के लिये,
आज धर्म कई हैं,
जातियों की तो
गिनती नहीं हैं,
हर भाग की
अपनी भाषाएं हैं,
शिक्षा का कोई
अब आधार नहीं है,
धरा बंट चुकी है
कई भागों में...
जब से बंटा है
ये सब कुछ,
बंटा है तब से
मानव भी कई भागों में।
न अमन है कहीं,
न सुखी है कोई।
न वेदों का ज्ञाता है कोई,
जो पथ दिखा सके।
वो धर्म ही खंडित हुआ है,
जो आदमी को, इनसान बना सके...