बुधवार, अगस्त 12, 2015

ये अमर गाथा आजादी की।

जब लहराता है
 लाल किले पर
अखंड देश का
 प्यारा  तिरंगा
झुक जाता है
मस्तक मेरा
करने को नमन
इन शहीदों को।

हमारी तरह ही
अगर ये भी
सुख वैभव से
जीवन जीते।
हम आज भी
जकड़े होते
विदेशियों की
प्राधीन बेड़ियों में।

कहा माओं से
बुला रही है मां
तेरे दूध की
परीक्षा है।
आने वाले
कल की खातिर
मांग रही हैं तुमसे
तुम्हारा आज।

हम माएं है इनकी
केवल इस जन्म में
तुम मां हो
युगों-युगों से
सौ पुत्र भी
होते एक के
सहर्ष भेजते
चरणों में तुम्हारे।

जाओ बेटा
न देर करो
जाग उठा है
नसीब तुम्हारा।
ये जन्म भूमि ही
कर्म भूमि है
आज से
केवल तुम्हारी।



सूरज चांद
सितारों ने देखी
अनुपम  कुर्वानी
शहीदों की।
स्वर्णिम अक्षरों में
इतिहास ने लिखी
ये अमर गाथा
आजादी की।

2 टिप्‍पणियां:

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