टूट गये हैं दिलों के बंधन,
उदास है हर घर आंगन,
जन्म हुआ था प्रेम का
जिससे,
वो बंसी तुम पुनः बजाओ...
अस्त हो गया धर्म का सूरज,
धुमिल हो गयी दिशा पूरव,
पथ भ्रष्ट हैं आज सभी,
गीता का अर्थ समझाओ...
नहीं भाता भीड़ बाजार,
जहां भी जाओ है अंधकार,
मन उदास है कहां जाएं,
श्याम अब आकर रास रचाओ...
वचन तुम्हे निभाना होगा,
सुदर्शन पुनः उठाना होगा,
अस्तित्व धर्म का बचाना
होगा,
आना श्याम जल्दि आओ...