टूट गये हैं दिलों के बंधन,
उदास है हर घर आंगन,
जन्म हुआ था प्रेम का
जिससे,
वो बंसी तुम पुनः बजाओ...
अस्त हो गया धर्म का सूरज,
धुमिल हो गयी दिशा पूरव,
पथ भ्रष्ट हैं आज सभी,
गीता का अर्थ समझाओ...
नहीं भाता भीड़ बाजार,
जहां भी जाओ है अंधकार,
मन उदास है कहां जाएं,
श्याम अब आकर रास रचाओ...
वचन तुम्हे निभाना होगा,
सुदर्शन पुनः उठाना होगा,
अस्तित्व धर्म का बचाना
होगा,
आना श्याम जल्दि आओ...
तजे न लोभ
जवाब देंहटाएंरुद्र मिली उपाधि
गोपीनाथ की
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें ...
सुंदर आह्वान,बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल बुधवार (28-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 99 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
सादर
सरिता भाटिया
बहुत सुन्दर कविता .
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनाएं .
परती परिकथा : कोसी की
http://dehatrkj.blogspot.com/2013/08/blog-post_25.html
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जयश्री कृष्ण !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंrecent post
किसी भी साईट से विडियो डाउनलोड करने का एक बहुत बढ़िया एक्सटेंशन
बहुत सुन्दर पुकार ...
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों को कान्हा के अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाये !!
आओ श्याम गिरधारी , तोरि रे बलिहारि ..जल्दी आओ श्याम । सच कहा आपने और क्या खूब कहा । सुंदर पंक्तयां
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
महाभारत की भूमिका तैयार है - पर अर्जुन कहाँ हैं!
जवाब देंहटाएंहम बन जाये अर्जुन तब कृष्ण को आना ही होगा..
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