शुक्रवार, फ़रवरी 23, 2018

एक प्रश्न

एक प्रश्न
वो बेटी
ईश्वर से पूछती है,
क्यों भेजा गया
मुझे उस गर्भ में,
जहां मेरी नहीं
बेटे की चाह थी....
एक प्रश्न
वो बेटी
 उस  मां से पूछती है,
"तुम तो मां  हो
क्या तुम भी
आज न बचाओगी मुझे
इन  जालिमों  से?....."
"एक प्रश्न
वो बेटी
उस पिता से पूछती है,
"क्यों बोझ मान लिया मुझे?
मेरे जन्म से पहले ही,
क्या किसी बेटी को देखा है,
बूढ़े माता-पिता को वृद्ध आश्रम में भेजते हुए?...."
एक प्रश्न
वो बेटी
उस चकितसक  से पूछती है,
"तुम्हारा कर्म
जीवन बचाना है,
मुझे भी जीना है,
क्या आने दोगे मुझे दुनिया में?...."
एक प्रश्न
वो बेटी
इस समाज से पूछती है,
"कब तक होता रहेगा भेद-भाव,
बेटा और बेटी में?
अग्नी परीक्षा देकर भी
कब तक सीता को वनवास मिलता रहेगा?...."
इन प्रश्नों के
उत्तर की प्रतीक्षा में थी वो,
तभी सुनाई दिया उसे,
पैसों का लेन-देन,
उस जालिम ने जितने मांगे,
क्रूर पिता ने उतने ही दिये,
फिर तीखे औजारों से मिटा दिया उसे.....
ये प्रश्न
एक बेटी नहीं
हजारों बेटियां पूछती है,
 ईश्वर से,  और समाज से,
माता-पिता  और चकितसक  से>
नहीं मिलता उन्हे उत्तर,
और मार दी जाती है....

12 टिप्‍पणियां:

  1. मानसिक रोग है यह एक तरह का
    प्रेरक प्रस्तुति

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-02-2017) को "सुबह का अखबार" (चर्चा अंक-2891) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन वीनस गर्ल आज भी जीवित है दिलों में : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  4. कुलदीप ठाकुर की कविता में 'अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो' का दर्द है और 'काहे को ब्याही बिदेस' का सवाल भी है. हमारे समाज पर लगा हुआ यह दाग अगर कोई मिटा सकता है तो हिम्मत के साथ कोई बहादुर बेटी ही मिटा सकती है.

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  5. बेटी प्रश्न ही पूछती रह गयी है सदियोंं से...........
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर ........

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  6. वाह !!!अप्रतीम,लाजवाब

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  7. प्रिय कुलदीप जी -- अनगिन अजन्मी बेटियां ऐसे ही मर्मान्तक प्रश्न पूछ कर भी अपनी जान ना बचा पाई |बहुत ही मर्मस्पर्शी प्रश्नों से भरे इन अजन्मी बेटियों के प्रश्नों का ऊतर किसी के पास कहाँ है ? चिंतनपरक रचना | स्स्नेह --

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  8. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-7-22} को "सफर यूँ ही चलता रहें"(चर्चा अंक 4500)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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  9. ये प्रश्न शोर तो बहुत करता है लेकिन दमधान कुछ नहीं । झकझोर देने वाली रचना ।

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ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
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