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धन दौलत की कमी नहीं है, हर चीज है मेरे पास,
स्वर्ग सा सुख धरा पे पाया, फिर भी है मन उदास।
मुझे दुनिया की हर चीज मिली वो नहीं मिला जो मैंने चाहा,
जब मन्नत मांगने मन्दिर गया, बुत बनकर खुदा मौन रहा।
तकदीर बनाने वाले ने देखो मुझसे छल किया,
मुझे चन्द दीपक देकर मेरा सूरज छीन लिया।
मैंने इसे भी मुकदर समझा ये सोचकर हर गम सहा,
जब मन्नत मांगने मन्दिर गया, बुत बनकर खुदा मौन रहा।
मुझे मेरी चाहत नहीं मिली, मेंने बहूत आंसु बहाए,
खुदा रहम दिल नहीं जो आंसुओं से पिघल जाए।
नहीं बद लती आंसुओं से
तकदीर हर लम्हे ने यही कहा,
जब मन्नत मांगने मन्दिर गया, बुत बनकर
खुदा मौन रहा।
बहुत अच्छी भावाव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंकल 05/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
कल 05/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
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कोमल ह्रदय की
जवाब देंहटाएंकोमल अभिव्यक्ति..
:-)
कोमल भावों से भरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं.. सराहनीय प्रस्तुति...!
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