अमन चहाता है भारत, नहीं चहाता है लड़ाई,
प्रगति करो, जंग नहीं, जंग से होती है तबाही,
देख लिया कयी बार लड़कर, क्या मिला हार कर,
देख ली होगी भारत की शक्ति, मंथन और विचार कर।
संबल जा अभी भी पाकिस्तान वरना फिर पछतायेगा,
शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।
भाड़े के सैनिक लेकर, युद्ध नहीं किये जाते,
शस्त्रों की फीख माँगकर, रण नहीं है जीते जाते।
क्या सोजते हो हम डर जाएंगे, तुम्हारे परमाणु हथियारों से,
काशमीर नहीं मिलेगा तुम्हे, धर्म जेहाद के नारों से।
देखा अगर तिरंगे की ओर, नाम तक मिट जायेगा,
शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।
मासूमों का रक्त बहाकर, कौनसी जन्नत पाओगे,
लगाईहै जो तुमने आग, खुद इस में जल जाओगे।
लड़ना है तो सामने आओ, छद्म युद्ध क्यों करते हो,
हमारे वीर जवानों की, गोलियों से क्यों डरते हो।
आग से खेलोगे तो, सब कुछ ही जल जायेगा,
शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।
भारत माँ का हर वीर, क्षीर माँ का पीता है,
वो देश के लिये मरता है, देश कि खातिर जीता है।
मौत को जिन्होंने मात दी, लल्कार न एसे जवानों को,
बना देंगे चन्द पलों में, शमशान तुम्हारे मकानों को।
जिस के आगे नतमस्तक है तू, वो भी न तुझे बचा पायेगा।
शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।
बेहतीन अभिव्यक्ति ! वीर रस से परिपूर्ण ! देश भक्ति को जगाने वाली कविता ,बधाई !
जवाब देंहटाएंlatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!