शुक्रवार, अगस्त 31, 2012

main to teri janni hoon. मैं तो तेरी जननी हूं।


खोल  गेट का ताला बेटा,  मैं सड़क पे, तु बिसतर पे लेटा?

मत मुझ पर अत्यचार कर, मैं तु तेरी जननी हूं।

नौ मास तक कोख में पाला, हाथ पकड़ के चलना सिखाया,

पढ़ा लिखाकर शौहरत दिलायी, मैं तु तेरी जननी हूं।

सब कुछ है तेरा कुछ न मेरा, मांग लेता, सब कुछ दे देती।

क्यों घर से मुझे निकाल दिया, मैं तु तेरी जननी हूं।

कल भूखी  रही मैं तेरे लिये,  तु रोटी न देता मैं चुप रह जाती,

ये घर है मेरे प्यार का मन्दिर, मैं तु तेरी जननी हूं।

सोचा था बेटा राम होगा, रावण ने भी मां की पूजा की,

लोगगैर  पीड़ितों की पीड़ा हरते हैं, मैं तु तेरी जननी हूं।

 कल तुझ पर हंसेंगे सब, मुझे सड़क पर देखकर,

कोई मां बेटा न चाहेगी, मैं तु तेरी जननी हूं।

 

 

सोमवार, अगस्त 27, 2012

main kahna chahta hoon. मैं कहना चहाता हूं।


मैं कहना चाहता हूं, इक बातदिवाने से,

कुछ भी हासिल न होगा, व्यर्थ में आँसु बहाने से।

उसे तुझ से प्यार होता, तेरा जीवन तबाह न करति,

पत्थर दिल नहीं पिघलते, किसी के रोने और  मिट जाने से।

सूख रहा है एक गुल, बुलबुल की याद में,

हस्ति तेरी मिट जायेगी, गुल तेरे मुर्झाने से।

शमा को तुझसे प्यार नहीं, मत जा तु उसके पास।

जलाकर राख कर देगा, कहता हूँ परवाने से।

भोली भाली एक चकोरी, चाँद को पाना चाहाति है,

दिल नहीं है चाँद के पास, क्या लाभ है उसे चाहने से।

किसी को भी इतना मत चाहो, जी न पाओ उसके बिना,

जीवन नहीं मरा करता है, किसी के दूर जाने से।

 

रविवार, अगस्त 26, 2012

phoot parhi hai geet bankar. फूट पड़ी है गीत बनकर।


कन्ठ में मेरे, स्वर है तेरे, गीत हैं प्रेम के अधरों पर,

नैनों में है जो  छवी तुम्हारी,  फूट पड़ी है गीत बनकर।

 

 तनसुन्दर मन सुन्दरतम,सुन्दर हो तुम जग में सबसे,

तन की पावनता, मन की सुन्दरता,  फूट पड़ी है गीत बनकर।

 

तुम रति हो या मैनका, या किसी  नव लोक से आयी हो,

तुम्हारे अधरों की मधुर मुस्कान, फूट पड़ी है गीत बनकर।

 

कालीदास के नैनों में भी, तुम सी सुन्दर कोई छवि होगी,

जो दिखती  होगी हर शै में, फूट पड़ी है गीत बनकर।

 

मधुर वानी, पुष्प सा  स्वभाव, नैनों से छलकता  प्रेम,

तुम्हारी आहट मेरी प्रतीक्षा, फूट पड़ी है गीत बनकर।

 

 

गुरुवार, अगस्त 23, 2012

main kharha is par. मैं खड़ा इस पार।


    मैं खड़ा इस पार, तुम हो उस पार प्रीय,

मुद्दते  हो गयी मिले नहीं, बुलाता है मेरा प्यार प्रीय।


    वसन्त आया फूल खिले, देता था सुनायी कोकिल का गान,

झूम रही थी प्रकृति सारी, न थी जीवन में बहार प्रीय


।    घिर आये नब में बादल देखो, आया है सावन तुम भी आओ।

 कयी वर्ष  हो गये दूर रह कर, क्या कहेगा संसार प्रीय।


    मौसम बदला, रसमे बदली, वक्त के साथ हर चीज बदली,

तुम कभी न बदलना,तुम हो जीवन की धार प्रीय।


    कोई रोकेतुम्हे तो रुकना न, आना पवन की तिव्र गति में,

जोतुम्हे आने से रोके, गिरा देना वो दिवार प्रीय।



 

बुधवार, अगस्त 15, 2012

15 august 15 अगस्त।


मै 15 अगस्त हूं कहता हूं तुम से, सोचो  हम क्यों गुलाम हुए,

वो सब कुछ हम फिर न करें, जिस कारण हम गुमनाम हुए।

मैंने खुद रोते देखा था,  अपनी प्यारी भारत मां को,

राम कृष्न के वंशज होकर भी,  हम जग में  बदनाम हुए।

हर हिन्दूस्तानी का जीवन था केवल,  पिंजरे में बन्द पंछी सा,

नारी का अस्तित्व, पुरूष का पौरुष, हमारे  ख्वाब तक भी  निलाम हुए।

कुछ महापुरूषों ने सपना देखा, खुशहाल स्वतंत्र भारत का,

इस सपने को पूरा करने, कयी देश भक्त महान हुए।

मैं साक्षी हूं हर कुर्वानी  का, मैंने हर शहीद  पर सुमन चढ़ाये,

शव गिनते गिनते थक गया था,  असंख्य वीर कुर्वान हुए।

मैं 15 अगस्त करता हूं आवाहन, भ्रष्टाचार को जड़ से  मिटाओ,

देखो हमारी उन पुरानी भूलों के, क्या क्या  भयानक परिणाम हुए।



  

मंगलवार, अगस्त 14, 2012

chetavni चेतावनी


अमन चहाता  है भारत, नहीं चहाता  है  लड़ाई,

 प्रगति करो, जंग नहीं, जंग से होती है तबाही,

देख लिया  कयी बार लड़कर, क्या मिला हार कर,

देख ली होगी भारत की शक्ति, मंथन और विचार कर।

संबल जा अभी भी पाकिस्तान वरना फिर पछतायेगा,

शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।

भाड़े के सैनिक लेकर, युद्ध नहीं किये जाते,

शस्त्रों की फीख माँगकर, रण नहीं है जीते जाते।

 क्या सोजते हो हम डर जाएंगे, तुम्हारे परमाणु हथियारों से,

काशमीर नहीं मिलेगा तुम्हे, धर्म जेहाद के नारों से।

देखा अगर तिरंगे की ओर, नाम तक मिट जायेगा,

शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।

मासूमों का रक्त बहाकर, कौनसी जन्नत पाओगे,

लगाईहै जो तुमने आग, खुद इस में जल जाओगे।

लड़ना है तो सामने आओ, छद्म युद्ध क्यों करते हो,

हमारे वीर जवानों की, गोलियों से क्यों डरते हो।

आग से खेलोगे तो, सब कुछ ही जल जायेगा,

शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।

भारत माँ का हर वीर, क्षीर माँ का पीता है,

वो देश के लिये मरता है, देश कि खातिर जीता है।

मौत को जिन्होंने मात दी, लल्कार न एसे जवानों को,

बना देंगे चन्द पलों में, शमशान तुम्हारे मकानों को।

जिस के आगे नतमस्तक है तू, वो भी न तुझे बचा  पायेगा।

शंकर खोलेगा तीसरा नेत्र, फिर प्रलय मचायेगा।


शुक्रवार, अगस्त 10, 2012

krishan ka avahan कृष्ण का आवाहन। जन्माष्टमी

आती है गोपियां, ग्वाल बाल, आज भी यमुना के तट पर,
कहा था शाम ने  आएंगे वो, विश्वास है उन्हे उस वचन पर।
 यमुना आज पूछ रही है, शाम तुम कब आओगे,
मैं तुम्हारी दरशन की प्यासी, मुझे दर्श कब दिखाओगे।
एक बार सुनादो प्रभू,  मुर्ली में वो मिठी तान,
इन मुर्झाये अधरों पर, आ जायेगी फिर मुस्कान।
शान्त  होगी मेरी पीड़ा, जब रास यहां रचाओगे,
मैं तुम्हारी दरशन की प्यासी, मुझे दर्श कब दिखाओगे।
प्राधीन हुआ सारा देश, पर नटवर  तुम नहीं आये,
तुम बिन भारत माँ की, रक्षा हम कर   न पाये।
क्या मालूम था हमे नटवर, तुम वचन भूल जाओगे,
मैं तुम्हारी दरशन की प्यासी, मुझे दर्श कब दिखाओगे।
मुगलों और फिरंगियों ने, खूब अत्याचार किये,
निर्बल और निर्दोषों को, अमानवीय दन्ड दिये।
मैं सदा यही सोचती थी, तुम संकट से बचाओगे,
मैं तुम्हारी दरशन की प्यासी, मुझे दर्श कब दिखाओगे।
संकट में है  आज भारत, डूब रही है धर्म की नयीया,
पूरा करो अपना वचन, भूल न जाना अब कनहिया।
नाथ अब तो जल्दि आओ, और कितनी देर लगाओगे,
मैं तुम्हारी दरशन की प्यासी, मुझे दर्श कब दिखाओगे।

गुरुवार, अगस्त 09, 2012

rakshabandhan रक्षाबन्धन

आता है राखी का त्योहार, वर्ष में केवल एक बार,
 फूल सी खुशबू, चन्दन सा पावन, पावन है, ये रक्षाबन्धन।
लब पे दुआ, नैनों में प्रेम, बांधती है बहन हाथ पे राखी,
बहन का स्नेह, भाई का वचन, पावन है ये रक्षाबन्धन।
अनुमोल है ये भाई बहन के, प्रेम और विस्वास का धागा,
सुर्क्षित है इसमें बहन का जीवन, पावन है, ये रक्षाबन्धन।
पर पश्चिमी  हवा ने इसपर्व को, दिखावे के वस्त्र पहना दिये हैं,
वचन की जगह केवल आशवासन, पावन है ये रक्षाबन्धन।
हजारों की राखी, लाखों के तोफे, लबों पे है  केवल मांग।
थाली मैं है केवल   आस के सुमन, सबसे पावन है रक्षाबन्धन।
जब रिश्ते में वोही पावनता है, फिर ये झूठा दिखावा क्यों,
वोही पर्व, वोही है  सावन, पावन है ये रक्षाबन्धन।