शिकस्त खाकर, अंतिम बार,
गया नेता कुर्सी के पास,
सन्बोधित करके कहा उसे,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जीता था मैं जब चुनाव,
लगा स्वर्ग यहीं है,
संपूर्ण सुख भोगे मैंने,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जंता आगे पीछे दौड़े,
मैं खुदा हूं, ऐहसास हुआ,
इमान धर्म मैं भूल गया था,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
मांगने गया था जब वोट,
किये थे वादे जंता से,
तुम्हे पाकर, भूल गया सब,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
दुर्योधन मरा तुम्हारे लिये,
कन्स ने पिता को बंदी बनाया,
श्री राम अमर हुए, तुम््हे त्यागकर,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
तुम नशवर हो, जाना अब,
हारा हूं, चुनाव जब,
फिर ख्वाइश है तुम्हे पाने की,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
गया नेता कुर्सी के पास,
सन्बोधित करके कहा उसे,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जीता था मैं जब चुनाव,
लगा स्वर्ग यहीं है,
संपूर्ण सुख भोगे मैंने,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जंता आगे पीछे दौड़े,
मैं खुदा हूं, ऐहसास हुआ,
इमान धर्म मैं भूल गया था,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
मांगने गया था जब वोट,
किये थे वादे जंता से,
तुम्हे पाकर, भूल गया सब,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
दुर्योधन मरा तुम्हारे लिये,
कन्स ने पिता को बंदी बनाया,
श्री राम अमर हुए, तुम््हे त्यागकर,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
तुम नशवर हो, जाना अब,
हारा हूं, चुनाव जब,
फिर ख्वाइश है तुम्हे पाने की,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...