समय तो निराकार है,
मैं कलम, साकार हूं,
मैं साक्षी हूं हर घटना की,
मैं कल भी थी,
आज भी हूं,
इस धरा पर मेरा अस्तित्व,
रहेगा अनंत काल तक...
आज से नहीं सदियों से,
हम दोनों साथ हैं,
समय कहीं रुका नहीं,
मैं कभी थकी नहीं.
हम दोनों का ये अटूट साथ,
रहेगा अनंत काल तक...
जो देखा मैंने,
वो लिखा मैंने,
मेरा लिखा इतिहास बना,
मेरा सिपाही अमर हुआ,
मेरा लिखा हर अक्षर,
रहेगा अनंत काल तक...
मैंने राम कथा लिखी,
जग को गीता का उपहार दिया,
वेद पुराणों की रचना की,
हर युग का सत्य लिखा,
ज्ञान विज्ञान, सब मेरे कारण,
रहेगा अनंत काल तक...
जब चहा मैंने क्रांति लाई,
दोषियों को दंड दिलवाया,
भ्रम अस्त्र सा है मेरा
प्रहार,
सत्य मार्ग है मेरा पथ,
सत्य, न्याय और धर्म,
रहेगा अनंत काल तक...
समय के आगे सब नतमस्तक... सुन्दर रचना, बधाई.
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