शुक्रवार, मार्च 11, 2016

जरूरत है...

भारत को आज फिर से
श्री राम की जरूरत है,
अर्जुन धर्म संकट में है,
श्री गीता की जरूरत है।
उठ रही है फिर आवाजें
भारत को खंडित करने की,
अखंड भारत कह रहा है,
सरदार पटेल की जरूरत है,
  देश की रक्षक  सैना आज भी
निर्भय खड़ी है सरहदों पर,
मां भारती से कह रहे हैं,
नेता सुभाष    की  जरूरत है।
भारत मां की जय कहने में
लाज आती है जिन को आज,
उनको समझाने की खातिर,
विवेकानंद की जरूरत है।
बताओ उनहें सिख गुरुों ने,
कैसे-कैसे कुर्वानी की,
आजाती के शहीदों की,
 कथा सुनाने की जरूरत है।
 

शुक्रवार, मार्च 04, 2016

राष्ट्र प्रेम नहीं मरा था।

kकभी राष्ट्र गीत का विरोध,
कभी गायत्रि मंत्र का
कभी पाकिस्तानी झंडा लहराना
 कभी राष्ट्र विरोधी नारे।
तब कहते सुना है सब को,
ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
  वंदे मातरम,   भारत माता की जय।
 नारे लगाने वालों को
राष्ट्रप्रेम की बात करने वालों को
सामप्रदाइक कहा जाता है।
देश के नेता सत्ता के लिये
कुछ भी कह सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं।
मां भारती को गाली भी दे सकते हैं,
मां के लिये गाली भी सुन सकते हैं।
 मैं सोचता हूं,
अच्छे थे गुलामी के दिन
क्योंकि उस समय भारतीयों का
राष्ट्र प्रेम नहीं मरा था।

नया शड़यंत्र रचा रही।

अफज़ल गुरु,  मक़बूल भट
को शहीद कहना,  आजादी हो गयी,
जिन्हे दिया दंड कानून ने
उनकी फांसी भी,  शहादत हो गयी।
जो शहीद हुए देश पर
उनकी याद तक नहीं,
जो दहशत फैलाते हैं
उनकी जयजयकार हो रही।
दिखाएगा अब कौन पथ,
द्रौण भी  चक्रव्युह रचा रहे
शिक्षा के मंदिरों में भी  अब
घनघोर  रात हो गयी।
कहां है अर्जुन?
 श्रीकृष्ण कहां है?
कपटी शकुनी की चालें
नया शड़यंत्र रचा रही।