प्यार कभी मरता नहीं, जीवित रहता है, मरने के बाद भी
प्यार तन से नहीं होता, प्रेम प्यास है आत्मा की।
शायद इस दुखयारी की, आस्था नहीं है भगवान में,
नित्य पूजा की थाली लेकर, जाती है शमशान में।
वृक्ष के नीचे पूजा करके, दीपक वहाँ जलाती है,
फिर नैनों के जल से उस दीपक को बुझाती है,
जातेहुए कुछ सूखे फूल, बिखेरती उस स्थान में।
नित्य पूजा की थाली लेकर, जाती है शमशान में।
उस के जाने के बाद वहां कोई, रोता हुआ आता है,
उन सूखे हुए फूलों को, सीने से लगाता है।
फिर बुझा हुआ दीपक जलाकर, उड़ जाता है आसमान में,
नित्य पूजा की थाली लेकर, जाती है शमशान में।
कुलदीप भाई
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
आपको हमारी नई-पुरानी हलचल कैसी लगी
आपकी ये रचना भी मेरे साथ जाने को मचल रही है
सो लिये जा रही हूँ,...तो आप आइये बुधवार को नई-पुरानी हलचल मे मिल-बैठ कर आप की रचना पढ़ेंगे
आप सप्ताह में सातों दिन आमंत्रित हैं.. आपको प्रेरणा भी मिलती रहेगी
सादर
प्रेम प्यास है आत्मा की..
जवाब देंहटाएंऔर ये कभी ख़त्म नहीं होती
........................
बहुत बेहतरीन अंदाज
प्यार अनंत और अनवर होता है ..... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
उम्दा भाव से संजोई गई रचना...बहुत खूब|
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..|
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दर्दभरी प्यार की दास्तान ।
जवाब देंहटाएंजिन महान कवियों ने मेरी इस कविता पर टिपणी की है, मैं आप सभी का हार्दिक धन्यवादी हूं।
जवाब देंहटाएंकल 26/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंप्यार नहीं मरता ,,, सच है !!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर एहसास....
जवाब देंहटाएंअनु