कुत्ते को बिस्तर से
गोदी में उठाया,
भोजन दिया, , फिर
नहलाया,
फिर तैयारी के साथ,
घुमने चले,
कुत्ते को भी गाड़ी
में बिठाया।
फिर कुत्ते को एक
केला दिया,
छिलका सड़क पर
गिराया।
केले का छिलका
देखकर,
भूखा बालक दौड़के
आया,
भूख मिटाई खाकर
छिलका,
वक्त देखो ये कैसा
आया...
वाह रे कुत्ता तूने क्या जीवन पाया !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (29-04-2014) को "संघर्ष अब भी जारी" (चर्चा मंच-1597) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गहन अर्थ लिए सटीक व्यंग्य
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ----
आग्रह है----
और एक दिन
bahut gehri soch va tanj.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
गरीब को इंसान कहाँ समझते हैं बहुत से लोग ...
जवाब देंहटाएंसामयिक चिंतनशील प्रस्तुति ..
कड़वी सच्चाई.
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य
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