कौन हैं दोस्त, शत्रु कौन
हैं,
इस प्रश्न पर सभी मौन हैं,
272 का हैं लक्ष्य पाना,
सिंह, हीरन को है, साथ आना,
गिले शिकवे सब भूल जाएं,
गठबंधन की सरकार बनाएं...
जंता तो दे चुकी है वोट,
अब चाहो तो तुम ले लो नोट,
देंगे तुम्हे मंत्रि पद,
बढ़ जाएगा तुम्हारा भी कद,
खाया है सब ने, हम भी खाएं,
गठबंधन की सरकार बनाएं...
पांच वर्ष का समय, नहीं है
कम,
पा जाएं सत्ता, फिर कैसा गम,
पैसा असीम है, सत्ता नशवर,
आरोप, दंड, भी हैं नशवर,
समय अभी हैं, न बाद में पछताएं,
गठबंधन की सरकार बनाएं...
सुंदर!
जवाब देंहटाएंजुगाड़ बिठाने में हमारा कोई जवाब नहीं दुनिया में। .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
मिल बैठ खाने का मजा ही कुछ और है!
बहुत बढ़िया सामयिक रचना
vartman haalaat ka sahi chitran.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
अर्थपूर्ण अभिव्यंजना सशक्त भाव प्रवाह लिए है यह रचना। प्रासंगिक सन्दर्भ को उकेरती रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबढ़िया सामयिक रचना
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