गुरुवार, अगस्त 23, 2012

main kharha is par. मैं खड़ा इस पार।


    मैं खड़ा इस पार, तुम हो उस पार प्रीय,

मुद्दते  हो गयी मिले नहीं, बुलाता है मेरा प्यार प्रीय।


    वसन्त आया फूल खिले, देता था सुनायी कोकिल का गान,

झूम रही थी प्रकृति सारी, न थी जीवन में बहार प्रीय


।    घिर आये नब में बादल देखो, आया है सावन तुम भी आओ।

 कयी वर्ष  हो गये दूर रह कर, क्या कहेगा संसार प्रीय।


    मौसम बदला, रसमे बदली, वक्त के साथ हर चीज बदली,

तुम कभी न बदलना,तुम हो जीवन की धार प्रीय।


    कोई रोकेतुम्हे तो रुकना न, आना पवन की तिव्र गति में,

जोतुम्हे आने से रोके, गिरा देना वो दिवार प्रीय।



 

5 टिप्‍पणियां:

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