आता है राखी का त्योहार, वर्ष में केवल एक बार,
फूल सी खुशबू, चन्दन सा पावन, पावन है, ये रक्षाबन्धन।
लब पे दुआ, नैनों में प्रेम, बांधती है बहन हाथ पे राखी,
बहन का स्नेह, भाई का वचन, पावन है ये रक्षाबन्धन।
अनुमोल है ये भाई बहन के, प्रेम और विस्वास का धागा,
सुर्क्षित है इसमें बहन का जीवन, पावन है, ये रक्षाबन्धन।
पर पश्चिमी हवा ने इसपर्व को, दिखावे के वस्त्र पहना दिये हैं,
वचन की जगह केवल आशवासन, पावन है ये रक्षाबन्धन।
हजारों की राखी, लाखों के तोफे, लबों पे है केवल मांग।
थाली मैं है केवल आस के सुमन, सबसे पावन है रक्षाबन्धन।
जब रिश्ते में वोही पावनता है, फिर ये झूठा दिखावा क्यों,
वोही पर्व, वोही है सावन, पावन है ये रक्षाबन्धन।
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