मां जब तक धरा पर रहती है,
सुत की खातिर दुख सहती है,
खुद भूखी रह, उसे खिलाती,
कभी ईशवर, गुरु बन जाती।
चिंता करती सुत की हर पल,
देती आशीश, सुनहरा हो कल।
सबसे बड़ा मंदिर है घर,
मां ही है, वहां पर ईश्वर,
नहीं देखा ईश्वर को कभी,
करते हैं पूजा उसकी फिर भी।
जड़ के सूख जाने पर,
हर वृक्ष सूख जाता है,
निज फूलों को मुरझाते देख,
केवल मां वृक्ष ही मुरझाता है।
शायद ये कलियुग ही है,
हम मात्री दिवस मनाते हैं,
मां की ममता को सीमित करके,
हम हर्षित हो जाते हैं।
नहीं चाहिये मां को दिवस,
मां देख के तुम्हे, खुश होजाती है,
रूखा सूखा जो भी दोगे,
दे आशीष तुम्हे, सो जाती है.।
माँ को नमन
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतन
नमन।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सटीक एवं सार्थक सृजन।
मातृ दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना, पांच लिंकों का आनंद, हलचल में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार, उसका लिंक खुल नहीं रहा है
जवाब देंहटाएंजबरदस्त पोस्ट मा के लिए बनाया गया ये पोस्ट है
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंसादर नमन। आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा।
बहुत ही भावपूर्ण रचना माँ पर और बहुत ही सटीक कटाक्ष भी।
हाँ यह दुःख की बात है की आज हम ने माँ के प्रति आदर और प्यार दर्शाने का एक दिन बना कर सीमित कर दिया है। आदर्श स्थिति तो यही होगी की जैसे माँ अपने बच्चे से प्रतिपल स्नेह करती है उसी प्रकार बच्चे भी अपनी माँ को प्रतिपल प्यार और आदर दें।
एक अनुरोध है, कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं जहाँ मैं अपनी स्वरचित कविताएं डालती हूँ। मेरी कुछ कविताओं के साथ ऑडियो भी प्रस्तुत है। मैं ने अभी अभी अपनी नई रचना स्वातन्त्र गाथा डाली है, कविता के अंत में ऑडियो प्रस्तुत है। आपसे विनती है की उसे भी ज़रूर सुनें , मेरा पहला प्रयास है ब्लॉग पर कविता बोल कर सुनाने का। आपके प्रोत्साहन व् आशीष के लये अनुग्रहित रहूँगी।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसच माँ का हरदिन है एक दिन नहीं
जवाब देंहटाएंसुंदर सत्य को उजागर करती हृदय स्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंकल रथ यात्रा के दिन " पाँच लिंकों का आनंद " ब्लॉग का जन्मदिन है । आपसे अनुरोध है कि इस उत्सव में शामिल हो कृतार्थ करें ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी कोई रचना सोमवार 12 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सच माँ का हरदिन है एक दिन नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नमन आपकी प्रस्तुती को
जवाब देंहटाएंनहीं चाहिये मां को दिवस,
मां देख के तुम्हे, खुश हो जाती है,
रूखा सूखा जो भी दोगे,
दे आशीष तुम्हे, सो जाती है.।