बुधवार, अक्तूबर 19, 2016

फिर क्यों होगा तलाक...

जो  बच्चे,
 मां के साथ हैं,
पापा को ढूंढ़ते हैं,
जिन के पास, केवल  पापा हैं,
वो तरसते हैं,
मां की ममता को...
बच्चों को
आवश्यक्ता होती है,
दोनों के प्रेम की,
दोनों में से,
एक का न होना,
बच्चे का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता है...
जो माता-पिता,
तलाक के लिये,
कतार में खड़ें है,
वे अपने बच्चों की,
जीवन की सबसे बड़ी,
आवश्यक्ता छीन रहे हैं...
नहीं त्याग सकते,
दोनों अपने अहम   को,
अहम बच्चों से बड़ा है क्या?
विवाह  फेरों को समझो,
 आपस में विश्वास रखो,
    फिर क्यों होगा तलाक...


मंगलवार, अक्तूबर 11, 2016

विजयदशमी का संदेश यही है।

हम जलाते हैं हर बार,
पुतला केवल रावण का,
जिसने अपनी बहन के अपमान का
बदला लेने की खातिर
सीता जी का हरण किया।
न स्पर्श किया,
न अपमान किया,
अशोक-वाटिका में,
अतिथि सा मान दिया।
हम दशहरे के दिन,
 भूल जाते हैं,
आज के उन रावणों को,
जिन्हें न तीन वर्ष की बेटी की,
मासूमियत दिखती है,
न कौलिज जाने वाली बेटी की,
 मजबूरी ही।
वे केवल मौका पाकर,
उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं।
आज के ये रावण भी,
रावण का पुतला जलाते हैं,
इन्हें दंड दिये बिना,
हम कैसा दशहरा मनाते हैं।
श्री राम हमारे आदर्श हैं,
रावण फिर भी घूम रहे हैं,
हम केवल पुतले जलाकर,
मस्ति में झूम रहे हैं।
रावण मेघनाथ के पुतले जलाना,
विजयदशमी नहीं है,
अधर्मियों को दंडित करना,
विजयदशमी का संदेश यही है।