शुक्रवार, नवंबर 27, 2015

ये राजनितिक कटरपंथी हैं

अब नहीं होते
 चौराहों पर पंगे
न धर्म के नाम पे
हिन्दू  मुस्लिम के दंगे।
न सुनाई देता है
मंदिर मस्जिद  का शोर
अमन है
अब चारों ओर।
थम  जाएगा
भ्रष्टाचार भी
चल रही है लाठी
कड़े कानून की।
पर खतरा है अभी
लोकतंत्र पे,
कटरपंथियों   की
विचार धारा से।
चो कह रहे हैं
असहिष्णुता  है
नयी सरकार से
खतरा है।
ये साहित्यकार  या
अभिनेता नहीं है
ये राजनितिक
कटरपंथी  हैं
  जब देश में
दल परिवर्तन हुआ।
तभी इनका
उदय हुआ।
 कल कहां थे
जब दंगे हुए
आपातकाल में
पंगे हुए।
ये हितेशी नहीं 
भारत देश  के
ये बोलते हैं
बस पैसों से।
जन मत का
संमान करो
न लोकतंत्र का
अपमान करो।
देश को देखो
किसी दल को नहीं
यहां जनतंत्र है
राज एक दल का नहीं।

गुरुवार, नवंबर 26, 2015

अब जंता जाग रही है।

देख लिया है
अजमाकर उन को
जो राजा है
बहलाकर हम को।
हम भूल गये थे
अब तक खुद को
समझे थे आजादी
केवल शोषण को।
होते रहे खुश
हार पहनाकर
नेताओं की सभाओं में
तालियां बजाकर।
कुछ भी न बदला
सब कुछ वहीं है
अब जंता
जाग रही है।

नहीं सोचा कभी
हमे क्या दिया
अपनी जेवों  से भी
उनको ही दिया।
बदनाम हुए खुद
नयी पार्टी बनाई,
दागी छवी
नये चेहरों मे छुपाई।
भाषण-भरोसों पर
 विश्वास नहीं अब,
 फ्रेब चेहरे
और नहीं अब।
लोकतंत्र का
भविष्य यही है
अब जंता
जाग रही है।

हमे शासन नहीं
सुशासन चाहिये,
संसद में भी
अनुशासन चाहिये।
हमे वोट का
अधिकार मिला है
आजादी का
 उपहार मिला है।
आओ हम सब
कसम खाएं,
अपने वोटों को
पानी में न बहाएं।
गांव-गलियों में
आवाज यही है
अब जंता
जाग रही है।



मंगलवार, नवंबर 24, 2015

जय बोलो Guru Nanak की...

जब कलियुग में भी
होने लगा
 सनातन  धर्म का
अस्त सूरज...
विदेशी लुटेरे
बनकर राजा
बनाना चाहते थे
राम राज्य को लंका...
वेदों की ज्शिक्षाएं
भूल गये थे सब
पाखंडों का
अंधकार था...
पंडित ज्ञानी
जब न समझा सके
अर्जुनों को
वो गीता ज्ञान...
धर्म को बचाने
 ईश्वर आये फीर
बनकर Guru Nanak
इस धरा पर...
  दस रूपों में
आये नानक
वेदों का ज्ञान
Guru  ग्रंथ में समझाया...
नानक के रूप में
प्रेम से समझाया
गोविंद के रूप में
शस्त्र उठाए...
प्रेम की भाषा
जब न समझी
शस्त्रों से
अस्तित्व मिटाया...
की  धर्म की
पुनः स्थापना
जय बोलो
Guru Nanak की...




गुरुवार, नवंबर 19, 2015

जिंदगी की किताब...

हर जिंदगी
भी शायद
किसी लेखक की
लिखी हुई
किताब होती है...
पर हम
नहीं जान पाते
अपनी किताब के
लेखक को
न पढ़ पाते अगले पन्ने...
कहते हैं
रामायण भी
श्री राम जन्म से
कयी हजार वर्ष पूर्व
लिखी गयी थी...
वो ईश्वर थे
इस लिये शायद
हम जान पाये
उनकी जिंदगी की
किताब के लेखक को...

मंगलवार, नवंबर 10, 2015

मनाते हैं हम दिवाली...


[आप सब को पावन पर्व दिवाली की शुभकामनाएं...]
 पे राम
तुम दूर रहे
14 वर्षों तक
अंधकार सा लगा
 सब को तुम बिन
पर अंधकार नहीं था
न अन्याय था
राजा थे भरत...
वनवास काटकर
जब आये तुम
माएं हर्षित  हुई
जंता झूम उठी
पंछियों ने भी
जी भर के खाया
सब ने मिलकर
मनाई दिवाली...
पर आज
न तुम हो
न भरत
न तुम्हारी चरणपादुका।
है केवल
अन्याय,  भ्रष्टाचार
भय, हिंसा,
अनैतिकता और  आतंकवाद... 
हमे  विश्वास है
तुम्हारे वचन पर
होती है  जब-जब
धर्म की हानी
आते हो तुम
मानव बनकर
इस विश्वास से ही
मनाते हैं हम दिवाली...

शनिवार, नवंबर 07, 2015

हर जंग कलम ने ही जीती है...

ओ लिखने वालो
तुम्हारे पास
वो शब्द हैं
जो बदल सकते हैं
पवन की दिशा
जिन के बल पर
तुम
क्रांती ला सकते हो...
तुम्हारे पास
कलम की ताकत है
वो कलम
जिसका लिखा
रामायण का
एक एक शब्द
भविष्य में
सत्य हुआ...
आद तुम ही
और शस्त्र
हाथ में लिये
कलम के बिना भी
बदलना चाहते हो
आज के हालातों को
कैसे लिखने वाले हो
जो कलम को ही  भूल गये...
साक्षी है समय
कलम के  सिपाहियों ने
विश्व में आज तक
असंख्य क्रांतियां लाई है
कौन कहता है
शस्त्रों से जीती जाती है जंग
जानो, पढ़ो इतिहास
हर जंग कलम ने ही जीती है...

गुरुवार, नवंबर 05, 2015

मेरा महत्व कितना है..

बोला पुष्प
हंस कर
निज वृक्ष से
तुम्हारा महत्व
मेरे बिना
कुछ भी नहीं है...
जब खिलता हूं मैं
तभी आते हैं सब
वर्ना तुम्हारे पास
मानव तो क्या
पंछी भी नहीं आते
निहारते हैं सब मुझे ही...
कहा वृक्ष ने
सुनो प्रीय
तुम खिलते रहो
सदा ऐसे ही
होता बस में
तुम्हे अमर बनाता...
मैं तो बस
जीवन देता हूं
सब को ही
जैसे दिया तुम्हे भी
न सोचा कभी भी
मेरा महत्व कितना है..