शूल की चुभन,
बहुत पीड़ा देती है,
पर शायद
उतनी पीडा नहीं,
जितनी फूल की चुभन,
....देती है....
वो बेटे
भूल चुके हैं सब कुछ
अपने मां-बाप को भी,
उन के सप नों को भी,
जिन्हे याद है अब
...केवल नशा ...
जो माएं
मांगती रही दुआ
लंबी आयु की
अपने बेटों के लिये
आज वो भी अपनी दुआ में,
....
अपनी खुशियांं ही मांग रही है...
वो माएं सब से
यही कह रही है
बच्चों के लिये
न मांगो लंबी आयु की दुआ
न धन दौलत
...केवल संस्कार दो...
बहुत पीड़ा देती है,
पर शायद
उतनी पीडा नहीं,
जितनी फूल की चुभन,
....देती है....
वो बेटे
भूल चुके हैं सब कुछ
अपने मां-बाप को भी,
उन के सप नों को भी,
जिन्हे याद है अब
...केवल नशा ...
जो माएं
मांगती रही दुआ
लंबी आयु की
अपने बेटों के लिये
आज वो भी अपनी दुआ में,
....
अपनी खुशियांं ही मांग रही है...
वो माएं सब से
यही कह रही है
बच्चों के लिये
न मांगो लंबी आयु की दुआ
न धन दौलत
...केवल संस्कार दो...