सोमवार, अप्रैल 16, 2018

यहां तो हर घटना को राजनीति रंग में रंगा जाता है.....

ये भीख मांग रहे बच्चे,
किस धर्म के हैं?
इनकी जात क्या है?
न हिंदू को इस से मतलब,
न मुस्लमान को.......
कारखानों या ढाबों  पर,
काम कर रहे बच्चों से
नहीं पूछते उनका मजहब।
कोई नहीं पहचानता,
ये उनकी जात, मजहब के  हैं....
जब एक बेटी का
जबरन बाल-विवाह होता है,
साथ देते हैं सब,
जात-मजहब के लोग,
नहीं करता कोई भी विरोध इसका.....
पर रेप या हत्या के बाद
पहचान लेते हैं सब
पिड़ित या निरजीव शव को
ये हमारे मजहब का था,
मारने वाले दूसरे मजहब के......
निरभया का नाम छुपाया गया,
गुड़िया का नाम भी दबाया गया,
देदेते आसिफा को भी कोई और नाम।
वो केवल मासूम बेटी थी,
क्यों बताया गया उसका मजहब क्या था....
काश हर मजहब के लोग,
अपने मजहब को समझ पाते,
न रेप होता, न हत्या।
यहां तो  हर घटना को
राजनीति रंग में रंगा जाता है.....

बुधवार, अप्रैल 11, 2018

हुआ था भ्रम, वसंत आया है,

दो दिन पहले  यानी 9 अप्रैल 2018  शाम 3:15 बजे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर में मलकवाल के निकट चुवाड़ी मार्ग पर भयानक हादसा हुआ बजीर राम सिंह पठानिया मेमोरियल स्कूल की   बस करीब 200 फीट गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में
27 बच्चों समेत 30 लोगों की मौत हो गई है जबकि कई बच्चे घायल भी हुए हैं।
इस घटना से मन बहुत आहत है......

तेरी धरा पर, ओ मां भवानी,
हर नेत्र में है, क्यों  आज पानी,
तुझसे मांगे थे फूल जो,
निष प्राण  पड़े हैं, आज धरा पे वो,
टूट गयी एक मां की आस,
खंडित हो गया पिता का विश्वास।
न नजर लगे, तिलक लगाया था,
चूम के माथा, बस में बिठाया था।
भाती-भांती के पकवान बनाए,
प्रतीक्षा में थी मां, बच्चे घर आये।
तभी आई खबर, वो नहीं आएंगे,
रो पड़े खिलौने, हम कहां जाएंगे।
अमिट उदासी छा गयी मन में,
छा गया मातम घर आंगन में।
पल भर में ये क्या हो गया,
जो पास था, सब कुछ खो गया।
हुआ था भ्रम, वसंत आया है,
ये कैसा वसंत, जो रोदन लाया है।