सोमवार, दिसंबर 31, 2018

इस नव-वर्ष में.....

केवल 2018 की जगह अब,
2019 हुआ  है,
बताओ, क्या कुछ और बदलेगा?
इस नव-वर्ष में.....
जहां सुरक्षित नहीं,  4 वर्ष की बेटी भी
सुनाई देती हैं अभी भी, चीखें निरभया, गुडिया की,
क्या बेटियां भय मुक्त निकल पाएगी बाहर?
इस नव-वर्ष में.....

क्या नव-विवाहिताएं घरों में सुरक्षित रह पाएंगी?
क्या दहेज के लोभियों की भूख मिट जाएगी?
क्या एक मर्ित  बेटी के पिता को न्याय  मिलेगा?
इस नव-वर्ष में.....

जो जन्म लेना चाहती हैं,
पर गर्भ में ही मार दी जाती हैं।
क्या वो बेटियां  सुरक्षित रह पाएगी?
इस नव-वर्ष में.....
जो कुपोषित और  बिमार हैं,
निर्धनता के कारण  लाचार हैं।
क्या मिल पाएगा उन्हे भर पेट खाना?
इस नव-वर्ष में.....

न बाल-विवाह होने देंगे,
न बालकों को बोझ ढोने देंगे,
आओ सब का जीवन महकाएं.
इस नव-वर्ष में.....