मंगलवार, जुलाई 19, 2016

पर भविष्य से खेलते हैं...

मैं एकलव्य हूं,
मेरी रुह आहत नहीं हुई,
जब गुरु द्रोणाचार्य ने
अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बनाने के लिये 
मुझ  से गुरु-दक्षिणा में,
मेरे दाहिने हांथ का अँगूठा मांगा था...
मेरे गुरु ने तो केवल
मेरे दाहिने हांथ का अँगूठा ही  मांगा था
जो सहहर्ष मैंने दे दिया था,
आज मेरा नाम तो,
गुरु द्रोणाचार्य और  अर्जुन से भी
 अधिक आदर से लिया जाता है...
 न मेरा जन्म राजवंश में हुआ,
न मेरा ऊंचा कुल था,
न सर्वश्रेष्ठ बनने की कामना,
मेरी गुरु पर श्रधा थी,
एकग्रता ने मुझे पहचान दी
मेरी  निष्ठा ही मेरे  काम आयी...
आज न मैं हूं,
न मेरे गुरु द्रोणाचार्य
न वो शिक्षा रहीं,
न सत्य को लिखने वाले,
अगर आज मेरे साथ वो अन्याय होता,
तो सत्य दब जाता कागजों में ही...
 आज मेरी रुह भी आहत है,
जब देखता हूं, सुनता हूं,
उन गुरुओं के बारे में,
जिनकी निष्ठा पैसे पर है,
जो गुरु-दक्षिणा तो नहीं मांगते,
पर भविष्य से खेलते हैं...


शुक्रवार, जुलाई 08, 2016

कलयुग में राम अवतार का...

आतंकवाद का जन्म
भूख से हुआ,
जेहाद के कारण,
पला-बढ़ा,
जैसे त्रेता युग में,
राक्षसों ने था आतंक मचाया,
वैसे ही   सारी दुनिया में,
भय है आतंकवाद का...
आतंकवादी तो  बेचारा,
क्या करे हालात  का मारा,
खिलौने नहीं, शस्त्र  मिले,
प्रेम नहीं, डंडे खाए,
ज्ञान  नहीं, जनून बढ़ाया,
मन से मौत का भय मिटाया।
न जीवन का मोह,
न प्रेम किसी से....
ये दानव भी नहीं,
महा दानव है कोई,
न धर्म  है इनका,
न इमान कोई।
कांपती है भारत मां  जब,
सुनते हैं पुकार देवता सब,
समझो  समय आ गया है,
कलयुग में  राम   अवतार का...