हर तरफ खुशहाली थी, कहते थे
सौने की चिड़िया,
जग अंबर का सूरज था भारत,
साक्षी है सारी दुनिया।
कैसा देश पे संकट आया,
भ्रष्टाचार का कोहरा छाया,
चाहते हैं
नेता कुर्सी पाना, देश से उन्हे क्या लेना,
देखती है जंता नेता को, कहती है देश ने उन्हे क्या देना,
बस केवल वोट लेने के लिए,
नेताओं ने ये भ्रमित जाल बिछाया,
कल था जहां राम राज्य, आज
लंकेश ने वहां राज पाया।
अब रण में केवल कौरव है, न पांडवों का अब डर सताता,
द्रौण तो हैं जो व्यू
रचेंगे, न भिष्म अब मार्ग दिखाता,
पर अब मित्र कर्ण नहीं है,
दुर्योधन ये न समझ पाया,
कल था जहां राम राज्य, आज
लंकेश ने वहां राज पाया।
विश्वास है कृष्ण के वचन
पर, आयेंगे वो फिर धरा पर,
पुनः राम राज्य आयेगा,
चमकेगा ये सूरज फिर विश्व पटल पर,
मिटेगा अंधेरा होगा सवेरा, इस आस में सदा तिरंगा
लहराया।
कल था जहां राम राज्य, आज
लंकेश ने वहां राज पाया।
कल और आज में बहुत बदला आया है देश में ...काश की यह बदलाव नैतिक मूल्यों को बनाये रखने में सक्षम होता तो फिर हमारा भारत शीर्ष पर होता ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चिंतन
गहरा कटाक्ष है आज की व्यवस्था पर ...
जवाब देंहटाएंबदलाव तो आता ही है हर समय पर देश में तेज़ी से आया है ये बदलाव ,...