शुक्रवार, मई 08, 2020

हम जो कल थे, आज भी हैं,

सारा विश्व तो  प्राजित हो गया,
अब तुम ही अपनी शक्ती दिखाओ,
हे ज्ञान दीप हे श्रेष्ठ  भारत!
 इस करोना पर भी  विजय पाओ।
हमारे पास है अलौकिक ज्ञान,
उपनिशद और वेद पुराण,
संजीवनी की खोज करके तुम,
जग में सब का जीवन बचाओ।
घर पर बैठ गया है आदमी,
 हो गया बेबस, लाचार   आदमी,
मिट गयी है धरा की रौनक,
फिर  धरा पर खुशहाली लाओ।
कांप रही है विश्व शक्तियां,
चूर हो गया अहंकार उनका,
हम जो कल थे, आज भी हैं,
दुनियां को ये  ऐहसास दिलाओ।
जब-जब धरा पर संकट आया,
भारत ने ही विश्व बचाया,
तुम्हारी ओर ही देख रहा है जग,
धरा को करोना मुक्त बनाओ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 08 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०५-२०२०) को 'बेटे का दर्द' (चर्चा अंक-३६९६) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  3. हमारे पास है अलौकिक ज्ञान,
    उपनिशद और वेद पुराण,
    संजीवनी की खोज करके तुम,
    जग में सब का जीवन बचाओ।

    सत्य कहा आपने , लाज़बाब सृजन ,सादर नमस्कार सर

    जवाब देंहटाएं
  4. जब-जब धरा पर संकट आया,
    भारत ने ही विश्व बचाया,
    तुम्हारी ओर ही देख रहा है जग,
    धरा को करोना मुक्त बनाओ।
    सही कहा ऐसी संजवनी भारत मे ही मिलेगी
    बहुत ही सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. मैंने आपकी रचना पढ़ी बहुत ही उम्दा रचना है आपकी।

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !