मैं भी चोर, तुम भी चोर,
फिर संसद में कैसा शोर,
क्यों इक दूजे पर आरोप
लगाएं,
बंद कमरों में मुद्दे
सुलझाएं...
जंता तो है भोलीभाली,
कोष देश का हो रहा है खाली,
100 प्रतिशत महंगाई बढ़ाएं,
कारण जंता को मिलकर
समझाएं...
पांच पांच वर्ष दोनों को,
त्यागना होगा कुर्सी का
मोह,
बारी बारी सरकार बनाएं,
आधा आधा दोनों खाएं...
शोर मचाना है भ्रष्टाचार,
गिरानी होगी आपसी दिवार,
एइक दूजे को जेल जाने से बचाएं,
आरोपों की सभी फाइलें
दफनाएं...
समझौता आपसी करना होगा,
वर्ना किया है जो, भरना
होगा,
आओ दोनों हाथ मिलाएं,
मन मर्जी से देश चलाएं...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल {रविवार} 20/10/2013------ है जिंदगी एक छलावा -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा अंक : 30 ----- पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
ललित चाहार
जवाब देंहटाएंसमझौता आपसी करना होगा,
वर्ना किया है जो, भरना होगा,
आओ दोनों हाथ मिलाएं,
मन मर्जी से देश चलाएं...
चोर चोर मौसेरे भाई ,
सबको मर्म बताएं।
देश को खाद्य सुरक्षा बिल ,
खुद माल पूए खाएं।
बढ़िया प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया .....
जवाब देंहटाएंमनमर्जी से देश चलाने की ताक़त देती जनता
"कोऊ नृप होय हमै का हानी" रख विचार चुप रहती जनता....... क्या करिएगा .....
आज की राजनीति पे सटीक टीका है आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम ...
मैं भी चोर, तुम भी चोर,
जवाब देंहटाएंफिर संसद में कैसा शोर,
क्यों इक दूजे पर आरोप लगाएं,
बंद कमरों में मुद्दे सुलझाएं...-----
आज की राजनीति का सच,वाकई आपने सही मुद्दों को उठाया है
प्रभावशाली रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों.…
http://jyoti-khare.blogspot.in
बढ़िया है .......बधाई
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna..
जवाब देंहटाएंmere blog par bhi aap sabhi ka swagat hai
जवाब देंहटाएंhttp://iwillrocknow.blogspot.in/