आने वाले हैं अब चुनाव,
कहां है सौना मुझे बताओ,
कृपा करो मुझ पर अब,
जय, जय, जय शोभन सरकार...
मिलता मुझे येसौना सारा,
चमक जाता भाग्य का सितारा,
देता नोट, लेता वोट,
जय, जय, जय शोभन सरकार...
जंता के बीच कैसे जाऊं,
क्या अपनी मजबूरी बताऊं,
न कर सका पूरे चुनावी वादे,
जय, जय, जय शोभन सरकार...
रात को अब नींद न आती,
दिन को कुर्सी की चिंता सताती,
जो भी कहो, मैं दूंगा जीतकर,
जय, जय, जय शोभन सरकार...
जब जीतकर मैं आऊंगा,
तुम्हारे मंदिर को महल बनाउंगा,
तुम्हे विश्व ख्याती दिलाउंगा
जय, जय, जय शोभन सरकार...
गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
जवाब देंहटाएंगड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |
रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |
रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा प्रोपेगंडा |
इत शोभन सरकार हैं, उत शोभा सरकार |
जवाब देंहटाएंइत सोना का प्यार है, उत सोना धिक्कार |
उत सोना धिक्कार, बड़ा सस्ता है सोना |
मँहगाई की मार, पड़ा है छूछ भगोना |
सपने पे इतबार, पांच रुपये में भोजन |
मंत्री मारे मौज, मौज मारे इत शोभन ||
jai ho........
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सब 'उल्टा-पुल्टा' चल रहा है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसही व्यंग।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (28.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंजय हो शोभन सरकार ... सरकार की लाज तुम्हारे हाथों है अब ...
जवाब देंहटाएंमस्त रचना ...
व्यंग्य विडंबन है ये हमारे दौर का जिसका बस मज़ाक ही उड़ाया जा सकता है। बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में डौंडिया खेड़ा गाँव के एक खंडहरनुमा किले में सोने की खोज में जुटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम को आठ दिन की खुदाई के बाद कुछ लोहे की कीलें, चूड़ियों के टुकड़े और मिट्टी के चूल्हे मिले हैं.
अभी "कोयला "और चारा भी निकलेगा सेकुलरों का।
जय जय जय शोभन सरकार ,बचा लो हमारी सरकार |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )