गति तीव्र है, लक्ष्य है भारत, कर रहा है सभ्यता को धुंधला,
न बच पायेगा कोई भी इससे, ये पश्चिमी तुफान है।
हम भूल रहे हैं वेद पुराण, न दे रहे हैं वृद्धों को संमान,
न रह गया है कोई रिश्ता पावन, ये पश्चिमी तुफान है।
भूल गये हम अपनी भाषा, रहन सहन और खान पान भी,
नग्न तन को कहते हैं फैशन, ये पश्चिमी तुफान है।
क्या जानेंगे बच्चे मर्यादाएं, क्या देंगे हम उनको सुसंस्कार,
टीवी, इंटरनैट गुरूकुल है उनका, ये पश्चिमी तुफान है।
दिवाली की जगह वैलेनटाइन्स डे, दीपक की जगह कृत्रिम लड़ियां,
बच्चों से नहीं कुत्तों से प्यार है, ये पश्चिमी तुफान है।
उगता है सूरज पूरव से, होता है पश्चिम में अस्त,
प्रकाश यहां, अन्धकार वहां है, ये पश्चिमी तुफान है।
आवाहन कर रही है संस्कृति, रोको इस तुफान की गति,
वापिस लाओ गौरव मयी अतीत, ये पश्चिमी तुफान है।
बहुत अच्छी कविता है !!
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जवाब देंहटाएंमैं 13 Oct को ब्लॉग बनाई .... आज इस पोस्ट की मेरा फ्लावर संख्या भी 13 है ....
13 Nov को दिवाली भी है .... शुभकामनायें :)
आप लिखते बहुत अच्छा हैं ....
बस शब्दों पर ध्यान दें .....
बुरा लगे तो माफ़ कीजिएगा ....
तिव्र = तीव्र
सन्मान = सम्मान
रिशता = रिश्ता
मरियादायें = मर्यादायें ....
आवाहन कर रही है संस्कृति, रोको इस तुफान की गति,
जवाब देंहटाएंवापिस लाओ गौरव मयी अतीत, ये पश्चिमी तुफान है।
shandar rachana SWAGAT HAI AAPAKA .
मेरी रचना पसंद की गयी आभार... जो शब्दों के लिखने में कमी रह गयी है उन्हे ठीक कर रहा हूं। टिप्पणी केवल प्रशंसा सुनने के लिये नहीं होनी चाहिये विभारानी श्रीवास्तव महोदया जी ने मेरी कमियों से अवगत कराया धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbahut accha aahwan.....
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