बुधवार, दिसंबर 26, 2012

नारी तुम और सशक्त बनो...



बन जाएंगे कड़े कानून, थम जाएगी देश में क्रांति,
कोई दरिंदा  दानव  आकर, फैला देगा फिर अशांति,
इस शोर गुल से कुछ न होगा, नारी तुम और सशक्त बनो।
सीता महिनों लंका में रही, न आ सका रावण उसके   पास,
झलकता था भय सीता   में उस को, नारी तुम और सशक्त बनो।
देख लक्ष्मी बाई की तलवार, मान गए थे फिरंगी हार,
कांप रहा था बृटिश   राज, नारी तुम और सशक्त बनो।
कल्पना चावला  से पूछो, क्या थी नारी,
किरण वेदी को देखो, क्या है नारी,
नारी का कल का इतिहास पढ़ो, नारी तुम और सशक्त बनो।
हीरण का शिकार करते हैं सभी, सिंह को कोई न हाथ लगाता,
विक्राल हाथी भी देखो, सिंह के न पास जाता।
जो आज हुआ है कल न होगा, नारी तुम और सशक्त बनो।

8 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार लेखन,
    जारी रहिये,
    बधाई !!!

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  2. http://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_28.html

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  3. बेहतरीन रचना....
    अनु

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  4. बेहतरीन रचना....
    अनु

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  5. बहुत अच्छा संदेश

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  6. नारी सशक्त है पर ताकत में हार जाती है ... सुंदर संदेश देती रचना

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  7. सशक्त भाव लिए रचना..... प्रभावित करते विचार

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