भारत को आज फिर से
श्री राम की जरूरत है,
अर्जुन धर्म संकट में है,
श्री गीता की जरूरत है।
उठ रही है फिर आवाजें
भारत को खंडित करने की,
अखंड भारत कह रहा है,
सरदार पटेल की जरूरत है,
देश की रक्षक सैना आज भी
निर्भय खड़ी है सरहदों पर,
मां भारती से कह रहे हैं,
नेता सुभाष की जरूरत है।
भारत मां की जय कहने में
लाज आती है जिन को आज,
उनको समझाने की खातिर,
विवेकानंद की जरूरत है।
बताओ उनहें सिख गुरुों ने,
कैसे-कैसे कुर्वानी की,
आजाती के शहीदों की,
कथा सुनाने की जरूरत है।
श्री राम की जरूरत है,
अर्जुन धर्म संकट में है,
श्री गीता की जरूरत है।
उठ रही है फिर आवाजें
भारत को खंडित करने की,
अखंड भारत कह रहा है,
सरदार पटेल की जरूरत है,
देश की रक्षक सैना आज भी
निर्भय खड़ी है सरहदों पर,
मां भारती से कह रहे हैं,
नेता सुभाष की जरूरत है।
भारत मां की जय कहने में
लाज आती है जिन को आज,
उनको समझाने की खातिर,
विवेकानंद की जरूरत है।
बताओ उनहें सिख गुरुों ने,
कैसे-कैसे कुर्वानी की,
आजाती के शहीदों की,
कथा सुनाने की जरूरत है।
सच आज सच्चे देशभक्त, राजनेताओं का अकाल पड़ा है ...सार्थक सामयिक चिंतन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-03-2016) को "लोग मासूम कलियाँ मसलने लगे" (चर्चा अंक-2280) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...