शिकस्त खाकर, अंतिम बार,
गया नेता कुर्सी के पास,
सन्बोधित करके कहा उसे,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जीता था मैं जब चुनाव,
लगा स्वर्ग यहीं है,
संपूर्ण सुख भोगे मैंने,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जंता आगे पीछे दौड़े,
मैं खुदा हूं, ऐहसास हुआ,
इमान धर्म मैं भूल गया था,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
मांगने गया था जब वोट,
किये थे वादे जंता से,
तुम्हे पाकर, भूल गया सब,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
दुर्योधन मरा तुम्हारे लिये,
कन्स ने पिता को बंदी बनाया,
श्री राम अमर हुए, तुम््हे त्यागकर,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
तुम नशवर हो, जाना अब,
हारा हूं, चुनाव जब,
फिर ख्वाइश है तुम्हे पाने की,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
गया नेता कुर्सी के पास,
सन्बोधित करके कहा उसे,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जीता था मैं जब चुनाव,
लगा स्वर्ग यहीं है,
संपूर्ण सुख भोगे मैंने,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
जंता आगे पीछे दौड़े,
मैं खुदा हूं, ऐहसास हुआ,
इमान धर्म मैं भूल गया था,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
मांगने गया था जब वोट,
किये थे वादे जंता से,
तुम्हे पाकर, भूल गया सब,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
दुर्योधन मरा तुम्हारे लिये,
कन्स ने पिता को बंदी बनाया,
श्री राम अमर हुए, तुम््हे त्यागकर,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
तुम नशवर हो, जाना अब,
हारा हूं, चुनाव जब,
फिर ख्वाइश है तुम्हे पाने की,
तुम कुर्सी हो या नशा हो...
कुर्सी का नशा जिसे लगा वह फिर जाता कहाँ है। .
जवाब देंहटाएंकुर्सी की माया अपरम्पार है
बहुत बढ़िया
बहुत बहुत धन्यवाद...
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
हटाएंधन्यवाद आदरणीय...
जवाब देंहटाएंकुर्सी भी ज़र ,जोरू ,जमीं के समूह में सामिल है |
जवाब देंहटाएंअच्छे दिन आयेंगे !
बहुत बहुत धन्यवाद...
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद...
हटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद...
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज शुक्रवार २५ जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- कुछ याद उन्हें भी कर लें– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
हटाएंदुनिया कुर्सी की दीवानी ऐसे ही थोड़े ना है?सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का...
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