दुनिया में हर रिश्ते को, कोई न कोई नाम मिला,
राधा कृष्ण के रिश्ते को, नाम मिला न अन्जाम मिला।
श्याम की रानियां थी अनेक, न उन में से राधा थी एक।
पर समर्पण था इन सब से अधिक, फिर भी न बैकुन्ठ धाम मिला।
सब ने कहा, मथुरा न जाओ, राधा ने कहा कर्तव्य निभाओ,
राधा का समर्पण, श्याम का स्नेह, राधा को श्याम सा मान मिला।
न आकर्षण, न दिखावा, ये था केवल प्रेम पावन,
ये सुनायी देता था श्याम की मुरली में, इसे जगदीश के हृदय में स्थान मिला।
लक्ष्मी स्वरूपा थी रुख्मणी, पर जग ने राधे श्याम कहा,
प्रेम श्रेष्ठ है भक्ति से, उद्धव को ये ज्ञान मिला।
राधा कृष्ण के रिश्ते को, नाम मिला न अन्जाम मिला।
श्याम की रानियां थी अनेक, न उन में से राधा थी एक।
पर समर्पण था इन सब से अधिक, फिर भी न बैकुन्ठ धाम मिला।
सब ने कहा, मथुरा न जाओ, राधा ने कहा कर्तव्य निभाओ,
राधा का समर्पण, श्याम का स्नेह, राधा को श्याम सा मान मिला।
न आकर्षण, न दिखावा, ये था केवल प्रेम पावन,
ये सुनायी देता था श्याम की मुरली में, इसे जगदीश के हृदय में स्थान मिला।
लक्ष्मी स्वरूपा थी रुख्मणी, पर जग ने राधे श्याम कहा,
प्रेम श्रेष्ठ है भक्ति से, उद्धव को ये ज्ञान मिला।
बेहद उम्दा रचना संदीप जी बधाई
जवाब देंहटाएंप्रेम श्रेष्ठ है भक्ति से, उद्धव को ये ज्ञान मिला।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही उम्दा रचना………अभी कुछ दिन पहले यही प्रश्न किया था मैने फ़ेसबुक पर
कृष्ण प्रेमी और कृष्ण भक्त मे क्या कोई अन्तर होता है ?
और सबने अपने अपने हिसाब से उत्तर दिये अगर देखना चाहें तो आप मेरे पेज पर देख सकते हैं।
http://www.facebook.com/rosered8flower/posts/3593033476006?ref=notif¬if_t=like
और अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।
Beautiful creation ..
जवाब देंहटाएंवंदना जी, अर्ुन जी तथा ज़ील जी मेरी रचना पर टिप्पणी देने हेतू धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंगीत के भाव अच्छे है।
जवाब देंहटाएंभाव प्रवण खूबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंभाव प्रवण खूबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंभाव प्रवण खूबसूरत रचना ...
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