देश के वीर शहिदों को,
हम हिंदूस्तानी भूल गये,
खून से लिखी आजादी की,
अमर कहानी भूल गये...
कितने हुए कुर्वान,
न सोचा, न गिनती की,
भोगते हुए अब आजादी,
हम काला पानी भूल गये...
उन माओं का कभी सोचा है,
पुत्र जिनके शहीद हुए,
भगद सुखदेव से नौजवानों की,
अनुमोल जवानी भूल गये...
जाते जाते कहा था हमसे,
झुकने न देना मस्तक मां का,
खुशहाली लाना भारत में,
पर हम वो वाणी भूल गये...
हैं राजा जैसे,
हैं प्रजा भी वैसी,
चुनाव तो हैं
वोट बाज़ार,
बहाया था जो शहीदों ने खून,
उसे समझ के पानी भूल गये...
हम ऐसे नेता चुन गए
जवाब देंहटाएंशहीदों के ख़्वाब भूल गए
कुर्बानी कुर्सी में चून गए
बहुत बढ़िया -
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन
रहा नाम ही याद बस, भूले उनके काम |
महा नायकों को ठगे, इनको लगी हराम |
गहन अभिवयक्ति..
जवाब देंहटाएंकितने हुए कुर्वान,
जवाब देंहटाएंन सोचा, न गिनती की,
भोगते हुए अब आजादी,
हम काला पानी भूल गये...
....बहुत सशक्त और सटीक अभिव्यक्ति...
धन्यवाद आप सब का...
हटाएंभावनात्मक अभिव्यक्ति... अतिसुन्दर..
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएंaabhaar
dr ajay