गुरुवार, अगस्त 22, 2013

अमर कहानी...



देश के वीर शहिदों को,
 हम हिंदूस्तानी भूल गये,
खून से लिखी आजादी की,
अमर कहानी भूल गये...
कितने हुए कुर्वान,
न सोचा,  न गिनती की,
भोगते हुए अब आजादी,
हम काला पानी भूल गये...

उन माओं का कभी सोचा है,
पुत्र जिनके शहीद हुए,
भगद सुखदेव से   नौजवानों की,
 अनुमोल जवानी भूल गये...

जाते जाते कहा था हमसे,
झुकने  न देना मस्तक मां का,
खुशहाली लाना भारत में,
पर हम वो वाणी भूल गये...
हैं  राजा जैसे,  हैं  प्रजा भी वैसी,
चुनाव तो  हैं  वोट बाज़ार,
बहाया था जो शहीदों ने खून,
उसे समझ के पानी भूल गये...


7 टिप्‍पणियां:

  1. हम ऐसे नेता चुन गए
    शहीदों के ख़्वाब भूल गए
    कुर्बानी कुर्सी में चून गए

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  2. बहुत बढ़िया -
    शहीदों को नमन

    रहा नाम ही याद बस, भूले उनके काम |
    महा नायकों को ठगे, इनको लगी हराम |

    जवाब देंहटाएं
  3. कितने हुए कुर्वान,
    न सोचा, न गिनती की,
    भोगते हुए अब आजादी,
    हम काला पानी भूल गये...

    ....बहुत सशक्त और सटीक अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  4. भावनात्मक अभिव्यक्ति... अतिसुन्दर..

    जवाब देंहटाएं

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