मंगलवार, अगस्त 11, 2015

विजय तुम्हारी।

क्यों होते हो
बार बार उदास
सब कुछ है
आज तुम्हारे पास।
कुछ खोना
हार नहीं है
जो खोया है
उसे पाना सीखो
पहले सोचो
क्यों हारे हो
फिर विचार करो
कैसे जीतोगे।
देती है जिंदगी
बार बार अवसर
भर देगा वक्त
सारे घाव।
असफलता  को
अनुभव समझो
हार को न
अब याद करो।
अटल मन से
विजय के पथ पर
बिना रुके ही
चलते रहो।
उदय होगा जब
कल का सूरज
साथ लायेगा
विजय तुम्हारी।

2 टिप्‍पणियां:

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