आयी लोहड़ी ,
लेकर खुशिया।
बदली रुत
दूर हुई ठंड
आलस्य सुस्ती
दूर हुई अब।
लोहड़ी जलाओ
जी भर के खाओ,
नशवर है जीवन
बस नाचो-गाओ...
लोहड़ी केवल
पर्व नहीं है।
लोहड़ी है
एक संदेश,
नफरत भुलाओं,
न रखो क्लेश।
बच्चों की हुडदंग
बालाओं के गीत
जलता अलाव
है भाईचारे की जीत...
कर रही है लोहड़ी
आवाहन सबसे।
न डाकू कहो
दुल्ला भट्टी को,
न होने देता था
अन्याय वो।
वो लूटता था
लुटेरों का खजाना,
चाहता था देश में
पुनः स्वराज लाना...
लेकर खुशिया।
बदली रुत
दूर हुई ठंड
आलस्य सुस्ती
दूर हुई अब।
लोहड़ी जलाओ
जी भर के खाओ,
नशवर है जीवन
बस नाचो-गाओ...
लोहड़ी केवल
पर्व नहीं है।
लोहड़ी है
एक संदेश,
नफरत भुलाओं,
न रखो क्लेश।
बच्चों की हुडदंग
बालाओं के गीत
जलता अलाव
है भाईचारे की जीत...
कर रही है लोहड़ी
आवाहन सबसे।
न डाकू कहो
दुल्ला भट्टी को,
न होने देता था
अन्याय वो।
वो लूटता था
लुटेरों का खजाना,
चाहता था देश में
पुनः स्वराज लाना...
बहुत सुन्दर सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंलोहड़ी की हार्दिक शुभकामना