मुझे याद है
जाते वक़्त उसने
कहा था मुझसे
...तुम जैसे हज़ार मिलेंगे...
मैं ये सुनकर
चौंका पर मौन रहा
मुझे ठुकराकर
...फिर मुझ जैसे की ही तलाश क्यों?...
कुछ लोग जीवन भर ही
एक अच्छे के बाद और अच्छे की तलाश में
न जाने कितनों को तबाह कर देते हैं
...पर उनकी तलाश पूरी नहीं होती...
जाते वक़्त उसने
कहा था मुझसे
...तुम जैसे हज़ार मिलेंगे...
मैं ये सुनकर
चौंका पर मौन रहा
मुझे ठुकराकर
...फिर मुझ जैसे की ही तलाश क्यों?...
कुछ लोग जीवन भर ही
एक अच्छे के बाद और अच्छे की तलाश में
न जाने कितनों को तबाह कर देते हैं
...पर उनकी तलाश पूरी नहीं होती...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 08 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंराजेंद्र कुमार
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
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