विदेशी हमने दूर भगाए,
अपने नियम, कानून बनाए,
अपनों को ही सत्ता दी,
पीड़ित है फिर भी भारत मां...
हिंदू मुस्लिम के झगड़े सुलझाए,
भाषा जाति के विवाद मिटाए,
दुश्मनों को भी हमने मात दी,
पीड़ित है फिर भी भारत मां...
तुम मुझे वोट दो,
मैं तुम्हे खुशहाली दूंगा,
ये कहने वाले नेता बहुत हैं,
पीड़ित है फिर भी भारत मां...
विपक्षी चाहते कुर्सी पाना,
सत्ता पक्षियोम का है काम खाना,
पिस रही है बीच में केवल जंता,
पीड़ित है इस लिये भारत मां...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (19.09.2014) को "अपना -पराया" (चर्चा अंक-1741)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर...
हटाएंधन्यवाद सर...
जवाब देंहटाएंसादर।