सोचा था
कुठ गीत लिखुंगा
आयेगा जब
समय सुहाना...
दिन बीते
बीत गये वर्ष
पर आज तक
न वो गीत लिखे...
चला एक दिन
चमन की ओर
पर चमन तब तक
उजड़ चुका था...
नींद में ही सही
हसीन ख्वाब देखूं
पर रातों को
कभी नींद न आयी...
तुम्हारा हमारा
मिलन था तन का
मन मिले बिना ही
हम दूर हो गये...
कुठ गीत लिखुंगा
आयेगा जब
समय सुहाना...
दिन बीते
बीत गये वर्ष
पर आज तक
न वो गीत लिखे...
चला एक दिन
चमन की ओर
पर चमन तब तक
उजड़ चुका था...
नींद में ही सही
हसीन ख्वाब देखूं
पर रातों को
कभी नींद न आयी...
तुम्हारा हमारा
मिलन था तन का
मन मिले बिना ही
हम दूर हो गये...
हर रात की सुबह होती है
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन
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