अगर कोई
पूछे मुझसे
सब से सुंदर
क्या है जग में।
यूं तो
खुदा की रची
हर शै सुंदर है
शूल भी, फूल भी।
करूप ईश्वर ने
कुछ भी नहीं बनाया
ये केवल हमारी
दृष्टि का भेद है।
पर मां का आंचल
सब से सुंदर
जो करता है आकर्षित
ईश्वर को भी।
मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं
वो करने से पीछे नहीं हटूंगा जो मैं कर सकता हूँ.-हेलेन केलर
यहां प्रकाशित रचनाएं मेरी अपनी हैं।
ये सभी प्रकार की साहित्य विधाओं में प्रयुक्त शिल्प, छंद, अलंकार और शैली आदि से बिलकुल मुक्त है। ये केवल मेरे मन का मंथन है।
बैसाखी और अम्बेदकर जयन्ती की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (14-04-2015) को "सब से सुंदर क्या है जग में" {चर्चा - 1947} पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'