मैं सोचता हूं कि
हमारा अधिकांश काम
आज होता है मशीनों से
फिर भी हम
व्यस्त हो गये
मशीनों से भी अधिक।
आज हमारे पास
किसी के लिये ही
यहां तक की खुद के लिये भी
वक्त नहीं है।
बिलकुल भी संदेह नहीं
मशीनें हम से अधिक
और अति शिघ्र काम करती है।
फिर सोचिये जरा
हम कहां व्यस्त हैं?
आपकी लिखी रचना बुधवार 19 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहम खुद मशीन बनते जा रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक चिंतन
एक सार्थक सवाल
जवाब देंहटाएंहम भी तो उन्ही मशीनों में खो गए हैं ... उनके अस्तित्व से ढँक गए हैं ...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रश्न ...
हम व्यस्त हैं सोच में , मशीन को और अधिक दक्ष बनाने में !
जवाब देंहटाएंआईना !
हम कहां व्यस्त हैं? सहीं कहाँ चिंतन का बिषय उठाया हैं आपने
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in