शनिवार, अक्तूबर 18, 2014

ख्वाब देखने से डरता है...

हर एक आदमी
चाहे  छोटा हो या बड़ा,
 अमीर हो या गरीब,
ख्वाब तो देख सकता है...

ख्वाब देखने के लिये,
न कहीं जाना पड़ता है,
न कुछ देना पड़ता है,
न किसी के आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है...

न रिशवत देनी पड़ती है,
न रूपये पैसे की जरूरत होती है,
डिगरी भी हो या न हो,
ख्वाब तो देखे जा सकते हैं...


पर ख्वाब पूरा करने के लिये,
ये सब कुछ करना पड़ता है,
फिर भी पता नहीं,
ख्वाब पूरा  हों या न हो...

इसी लिये आज भी
भारत का युवक,
अनेकों डिगरियां होने पर भी,
 ख्वाब देखने से डरता है...

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के - चर्चा मंच पर ।।

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  2. बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ।

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  3. बिल्कुल सही बात कही है आपने...कुलदीप जी...

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  4. sundar rachna...yuva man ke bhav ko sahajta se tatolte hue...

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  5. Sahi kaha aapne .... Vastvikta hai ye ... Umda prastuti !!

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  6. ख़्वाब तो फिर भी देखने होंगे तभी जिंदगी आगे बढ़ेगी !
    रहने दो मुझे समाधि में !

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  7. सुंदर !

    आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 23 . 10 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
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  8. क्योंकि ये वो सपने हैं जो कभी पूरे नहीं हो सकते।
    पूरा कभी पूर्ण नहीं होता अघूरा ही रहता हैं

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ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
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