हर एक आदमी
चाहे छोटा हो या बड़ा,
अमीर हो या गरीब,
ख्वाब तो देख सकता है...
ख्वाब देखने के लिये,
न कहीं जाना पड़ता है,
न कुछ देना पड़ता है,
न किसी के आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है...
न रिशवत देनी पड़ती है,
न रूपये पैसे की जरूरत होती है,
डिगरी भी हो या न हो,
ख्वाब तो देखे जा सकते हैं...
पर ख्वाब पूरा करने के लिये,
ये सब कुछ करना पड़ता है,
फिर भी पता नहीं,
ख्वाब पूरा हों या न हो...
इसी लिये आज भी
भारत का युवक,
अनेकों डिगरियां होने पर भी,
ख्वाब देखने से डरता है...
चाहे छोटा हो या बड़ा,
अमीर हो या गरीब,
ख्वाब तो देख सकता है...
ख्वाब देखने के लिये,
न कहीं जाना पड़ता है,
न कुछ देना पड़ता है,
न किसी के आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है...
न रिशवत देनी पड़ती है,
न रूपये पैसे की जरूरत होती है,
डिगरी भी हो या न हो,
ख्वाब तो देखे जा सकते हैं...
पर ख्वाब पूरा करने के लिये,
ये सब कुछ करना पड़ता है,
फिर भी पता नहीं,
ख्वाब पूरा हों या न हो...
इसी लिये आज भी
भारत का युवक,
अनेकों डिगरियां होने पर भी,
ख्वाब देखने से डरता है...
Bahut Umda
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के - चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंसटीक रचना
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात कही है आपने...कुलदीप जी...
जवाब देंहटाएंsundar rachna...yuva man ke bhav ko sahajta se tatolte hue...
जवाब देंहटाएंSahi kaha aapne .... Vastvikta hai ye ... Umda prastuti !!
जवाब देंहटाएंख़्वाब तो फिर भी देखने होंगे तभी जिंदगी आगे बढ़ेगी !
जवाब देंहटाएंरहने दो मुझे समाधि में !
सत्य वचन
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 23 . 10 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
क्योंकि ये वो सपने हैं जो कभी पूरे नहीं हो सकते।
जवाब देंहटाएंपूरा कभी पूर्ण नहीं होता अघूरा ही रहता हैं