कहा था तुमने कभी मुझसे,
सदा मुस्कुराना...
होंठों की इस मुस्कान को,
कभी न मिटाना...
उस वक्त मैंने भी आप से ये
वादा किया था...
तुम्हारे प्रेम का तुम से,
सुंदर तोफा लिया था...
न जान सका तुम कहां गई,
नामुमकिन था तुम्हे भूल जाना...
फिर तुमसी जीवन में कोई और मिली,
चंद क्षणों के लिए प्रेम की कली खिली,
सोचा तुम फिर आ गयी,
पर वो तुम नहीं थी...
वो मिटाने आई थी मेरे अधरों की मुस्कान,
वो नागिन है, मैंने न पहचाना...
अब न प्रीय तुम हो,
न अब वो पहले सी मुस्कान है,
तुम कहां हो, मैं कहां हूं,
हम दोनों ही अंजान है...
मिलन न होगा चाहत है दिल में,
भाता है मन को, तुम पर कविता बनाना...
सदा मुस्कुराना...
होंठों की इस मुस्कान को,
कभी न मिटाना...
उस वक्त मैंने भी आप से ये
वादा किया था...
तुम्हारे प्रेम का तुम से,
सुंदर तोफा लिया था...
न जान सका तुम कहां गई,
नामुमकिन था तुम्हे भूल जाना...
फिर तुमसी जीवन में कोई और मिली,
चंद क्षणों के लिए प्रेम की कली खिली,
सोचा तुम फिर आ गयी,
पर वो तुम नहीं थी...
वो मिटाने आई थी मेरे अधरों की मुस्कान,
वो नागिन है, मैंने न पहचाना...
अब न प्रीय तुम हो,
न अब वो पहले सी मुस्कान है,
तुम कहां हो, मैं कहां हूं,
हम दोनों ही अंजान है...
मिलन न होगा चाहत है दिल में,
भाता है मन को, तुम पर कविता बनाना...
बहुत बढ़िया आदरणीय-
जवाब देंहटाएंसौतन से मिल लो जरा, जहर पिलाती आय |
युगल अधर चिपके पड़े, देह अधर में जाय ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात :)
जवाब देंहटाएंहोंठों की इस मुस्कान को,
कभी न मिटाना...
शुभकामनायें !!