कमजोर आदमी
के साथ तो
अन्याय कल भी हुआ था
होता रहा है सदा
शकुनी हितेशी बनकर
अन्याय की याद दिलाता रहता है उसे
फिर कमजोर आदमी करता है वोही
जो चाहता है शकुनी
महाभारत के
युद्ध का कारण
न भिष्म की प्रतिज्ञा थी,
न धृतराष्ट्र का पुत्र मोह
न दुर्योधन की महत्वाकांक्षा
न ही शकुनी का प्रतिशोध
न द्रोपदी का हठ
पांडव तो बिलकुल नहीं।
मैं तो
युद्ध का एकमात्र कारण
विदुर निति को मानता हूं
जिसने धृतराष्ट्र से
राजमुकुट झीना।
जो उसका अधिकार था
दिया था भाग्य ने उसे
ये अधिकार जेष्ठ बनाकर।
राजा बनने की
तीव्र आकांक्षा की ज्वाला
सुलगी तब
जन्म हुआ दुर्योधन का जब
कहा विदुर ने ये
पांडू पुत्र ही युवराज होगा।
कैसे होने देता
वोही अन्याय
अपने पुत्र के साथ भी।
के साथ तो
अन्याय कल भी हुआ था
होता रहा है सदा
शकुनी हितेशी बनकर
अन्याय की याद दिलाता रहता है उसे
फिर कमजोर आदमी करता है वोही
जो चाहता है शकुनी
महाभारत के
युद्ध का कारण
न भिष्म की प्रतिज्ञा थी,
न धृतराष्ट्र का पुत्र मोह
न दुर्योधन की महत्वाकांक्षा
न ही शकुनी का प्रतिशोध
न द्रोपदी का हठ
पांडव तो बिलकुल नहीं।
मैं तो
युद्ध का एकमात्र कारण
विदुर निति को मानता हूं
जिसने धृतराष्ट्र से
राजमुकुट झीना।
जो उसका अधिकार था
दिया था भाग्य ने उसे
ये अधिकार जेष्ठ बनाकर।
राजा बनने की
तीव्र आकांक्षा की ज्वाला
सुलगी तब
जन्म हुआ दुर्योधन का जब
कहा विदुर ने ये
पांडू पुत्र ही युवराज होगा।
कैसे होने देता
वोही अन्याय
अपने पुत्र के साथ भी।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18-07-2015) को "कुछ नियमित लिंक और आ.श्यामल सुमन की पोस्ट का विश्लेषण" {चर्चा अंक - 2040} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन निर्मलजीत सिंह सेखों और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंअलग सा दृष्टिकोण।
जवाब देंहटाएं