बहुत यादें हैं
सब के पास
बचपन के
सावन की।
बीता वक्त
न आता फिर से
कहती है पवन
सावन की।
व्याह हुआ
दूर हुए सब
आस थी बस
सावन की।
बाबुल का घर
मां का लाड
बुलाती है सखियां
सावन की।
होगा मिलन
अवश्य एक दिन
कहती है वर्षा
सावन की।
बदल गया है
आज सब कुछ
न बदली रुत
सावन की।
सब के पास
बचपन के
सावन की।
बीता वक्त
न आता फिर से
कहती है पवन
सावन की।
व्याह हुआ
दूर हुए सब
आस थी बस
सावन की।
बाबुल का घर
मां का लाड
बुलाती है सखियां
सावन की।
होगा मिलन
अवश्य एक दिन
कहती है वर्षा
सावन की।
बदल गया है
आज सब कुछ
न बदली रुत
सावन की।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 22 जुलाई 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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