मंगलवार, सितंबर 16, 2014

ये शस्त्र उठाकर...

देखते हैं हम अक्सर,
हर शहर, हर गली  में,
होटल और ढाबोपर,
बर्तन धोते हुए बच्चे को,
 जानते हैं हम सब,
ये बाल शोषण है,
कानूनी अपराध है।
हम आवाज उठा सकते हैं,
छोड़ो हमे क्या,
ये सोच कर,
हम निकल पड़ते हैं,
अपनी राह पर...

कानून तो केवल,
शस्त्र हैं हमारे पास,
अन्याय से लड़ने का,
न्याय पाने का,
हम सब दोषी हैं,
ये समाज दोषी हैं,
जो शस्त्र होने पर भी,
उस का प्रयोग नहीं करते,
रुक सकता है शोषण,
मिल सकता है सब को न्याय,,
जीते जंग,
 ये शस्त्र उठाकर...

8 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया व सुंदर , धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
    आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 18 . 9 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  2. Har vyakti apne farz se vimukh ho gya hai...tabhi logo ka saahs saatve aasmaan par hai jo baal shoshaan kaarte hain... Yadi sab jaag jaayein apne farz ke prati imaandaar ho jaayein jitna apne pet ke prati hain... To yah noubat aani km ho jayegi.... Badhiyaan sajag prastuti..... Shubhkaamnaayein...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सब से पहले मेरे ब्लौग पर आप का स्वागत है।
      आप ने सही बात कही है।

      धन्यवाद आप का।

      हटाएं
  3. कितनी सटीक बात है....बड़ा ही तीक्ष्ण तंज़ है।
    पासबां-ए-जिन्दगी: हिन्दी

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !