शुक्रवार, जुलाई 18, 2014

सावन...

उदास हुआ दिल आज फिर से,
जब झूम- झूम कर आया सावन,
वोही पुराने ज़ख्म लेकर,
जोर-जोर से बरसा सावन।

हर तरफ जब  हरियाली देखी,
सोचा जीवन भी महकेगा,
केवल मिलन की आस जगाने,
इस बार भी आया सावन।

छम-छम जब वर्षा हुई,
सुलगा  उठी यादें पुरानी,
मंद-मंद जब पवन चली,
हलचल दिल में  मचा गया  सावन।

फूल खिले केवल  ज़ख़्मों के
हिज्र  के गीत पंछी सुनाएं।
बार बार बादल  गरजें,
आया सावन, न भाया सावन।

पपपीहे  तुम उनके पास जाना,
मेरे ये गीत, उनको सुनाना,
न भी सुने, तुम गाते जाना,
बीत न जाए जब तक सावन।

7 टिप्‍पणियां:

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