सोमवार, अगस्त 11, 2014

वो तो अभी ख्वाब है...



जो दिया था तुम्हे खुदा ने,
वो तुम्हारी तकदीर थी,
जो तुम पाना चाहते हो,
वो तो  अभी ख्वाब है...

बोला मिर्जा,  साहेबा से,
आज तुमने बेवफाई की,
वफा करोगे अगले जन्म में,
वो तो  अभी ख्वाब है...

सफर आधा कट चुका,
सफर आधा बाकी है,
कोई अब साथ चलेगा,
वो तो  अभी ख्वाब है...


जो शब्द  मेरे मौन है,
वो मौन रहेंगे शायद सदा,
उन शब्दों  को कोई सुनना चाहेगा,
वो तो  अभी ख्वाब है...

चाहत है दिल में यही,
आता रहूं मैं काम सब के,
ये जीवन किसी के काम आयेगा,
वो तो अभी ख्वाब है...

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  2. बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई..

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  3. आपकी ये पोस्ट
    https://www.facebook.com/groups/605497046235414 यहाँ है .... आप भी आयें
    स्नेहाशीष

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  4. वाह ..बहुत ही बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  5. ख्वाब ही तो जीने का सहारा होते हैं जो सब पूरे हो गए तो फिर जीने की वजह क्या होगी ...सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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