[पावन पर्व श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं...]
आहत यमुना तुम्हे बुलाए,
गायें पीड़ा किसे सुनाएं,
आस है सब की तुम्ही पर,
आओ श्याम, बंसीधर...
दुष्ासन छिपा है, हर मोड़ पे आज,
बचाओ हिंद की बेटी की लाज,
व्याप्त है केवल मन में डर,
आओ श्याम, बंसीधर...
पाषाण हो गयी भावनाएं,
न रही अब मर्यादाएं,
हिंसा, भोग-विलास है अब,
आओ श्याम, बंसीधर...
मात-पिता ही शड़ियंत्र रचाते,
अजन्मी बेटी का अस्तित्व मिटाते,
सूना है, बेटी बिन घर,
आओ श्याम, बंसीधर...
भाई-भाई में बैर है,
सुत के लिये, मां गैर है,
खंडित हो गये रिश्ते सब,
आओ श्याम, बंसीधर...
सूनी है, ब्रज की गलियां,
सूख गयी है, मधुवन की कलियां,
मौन है, वृक्ष सब,
आओ श्याम, बंसीधर...
कहा था तुमने, आओगे,
धर्म, मानवता को, बचाओगे,
कहता भारत, आओ अब,
आओ श्याम, बंसीधर...
करुण पुकार .. श्याम सुन लो अब..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सामयिक ..
आपको भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
पाषाण हो गयी भावनाएं,
जवाब देंहटाएंन रही अब मर्यादाएं,
हिंसा, भोग-विलास है अब,
आओ श्याम, बंसीधर...
वर्तमान समय के सच को उजागर करती
सुन्दर रचना --
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर ---
आग्रह है --
आजादी ------ ???
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई - कितना अच्छा हो ,हम आवाहन के साथ उनके संकेतित मार्ग का अनुसरण करें !
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जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह बहुत ख़ूब