जो दिया था तुम्हे खुदा ने,
वो तुम्हारी तकदीर थी,
जो तुम पाना चाहते हो,
वो तो अभी ख्वाब है...
बोला मिर्जा, साहेबा से,
आज तुमने बेवफाई की,
वफा करोगे अगले जन्म में,
वो तो अभी ख्वाब है...
सफर आधा कट चुका,
सफर आधा बाकी है,
कोई अब साथ चलेगा,
वो तो अभी ख्वाब है...
जो शब्द मेरे मौन है,
वो मौन रहेंगे शायद सदा,
उन शब्दों को कोई सुनना चाहेगा,
वो तो अभी ख्वाब है...
चाहत है दिल में यही,
आता रहूं मैं काम सब के,
ये जीवन किसी के काम आयेगा,
वो तो अभी ख्वाब है...
आता रहूं मैं काम सब के,
ये जीवन किसी के काम आयेगा,
वो तो अभी ख्वाब है...
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंअनुभूति : ईश्वर कौन है ?मोक्ष क्या है ?क्या पुनर्जन्म होता है ?
मेघ आया देर से ......
बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएंआपकी ये पोस्ट
जवाब देंहटाएंhttps://www.facebook.com/groups/605497046235414 यहाँ है .... आप भी आयें
स्नेहाशीष
वाह ..बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut bahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंख्वाब ही तो जीने का सहारा होते हैं जो सब पूरे हो गए तो फिर जीने की वजह क्या होगी ...सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
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