धोखा मुझे तुमने दिया,
बेवफा कहा दुनिया ने मुझे,
तुम्हे मासूम कहा सबने,
पत्थर मारे दुनिया ने मुझे।
प्रेम न करता, अगर जानता,
तुम इतने संगदिल हो,
तुम प्रेम नगर की फूल हो,
बताया था दुनिया ने मुझे।
बनाया था दिल में मैंने,
तुम्हारे प्रेम का शीश महल,
बेरुखी से तुमने तोड़ा उसे,
आवाज सुनाई दुनिया ने मुझे।
मेरा लिखा हर प्रेम पत्र,
दफ्न कर दिया तुमने कहीं,
तुम्हारा लिखा हर खत,
दिखाया दुनिया ने मुझे।
जानता था केवल मिरजा,
साहिबा ने बेवफाई की,
फिर भी उस की वफा के किस्से,
सुनाए दुनिया ने मुझे।
पत्थर वो सह ना सके, सचमुच नाजुक देह |
जवाब देंहटाएंसहना तो तुमको पड़े, करते हो क्यूँ नेह-
अतुलनीय
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर रचना,मन को छू गई,आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंअच्छी हलचल की आपने आज
सादर